रंग-बिरंगी सिक्की को टकुआ से गूंदती, मौनी-पौती बनाती दादी-नानी की एकाग्र आँखें अब भी लोगों के जेहन में है.
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जानकारी के मुताबिक आंखों को भेदने के लिए टकुआ (बड़ी सुई) नाई द्वारा नख काटने के औजार और साइकिल के स्कोप का इस्तेमाल किया जाता था।
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सिक्की कलाकार सुनहरे रंग की सिक्की को पहले विभिन्न रंगों से रंगते हैं फिर टकुआ (पाँच-छह इंच लंबी लोहे की मोटी सुई जिसके पेंदी में चौड़ा बेंट लगा रहता है, ताकि पकड़ने में सुविधा हो) और कैची की सहायता से वे तरह तरह की आकृतियाँ बनाते हैं.
परिभाषा
चर्खे में लोहे की वह सलाई जिस पर कता हुआ सूत लिपटता है:"वह तकले से सूत निकाल रहा है" पर्याय: तकला, टेकुआ, तकुआ, टेकुवा,