दो-एक क्षण गुजरने के बाद ही बर्थ पर लेटे-लेटे मैंने सहसा पिताजी की टसक सुनी।
7.
दो-एक क्षण गुजरने के बाद ही बर्थ पर लेटे-लेटे मैंने सहसा पिताजी की टसक सुनी।
8.
वह बच्चों को घुमाने के बहाने कैंम्प से टसक गई और इंतजार करते दाई बाबू के पास पहुचकर कैम्प को दूर से प्रणाम किया जैसा उसने कैम्प् में आने के पहले अपने गांव के बूढा देव को किया था ।
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वह बच्चों को घुमाने के बहाने कैंम्प से टसक गई और इंतजार करते दाई बाबू के पास पहुचकर कैम्प को दूर से प्रणाम किया जैसा उसने कैम्प् में आने के पहले अपने गांव के बूढा देव को किया था ।