| 1. | अपने पास तो टोकरीभर फल पड़े थे ।
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| 2. | कई समालोचक माधव राव सप्रे की ‘एक टोकरीभर मिट्टी‘
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| 3. | 4 एक टोकरीभर मिट्टी (छ्त्तीसगढ़ मित्र, 1901) माधवराव सप्रे
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| 4. | ‘ एक टोकरीभर मिट्टी ' इन दोनों ही पैमानों पर खरी नहीं उतरती है।
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| 5. | ऊँची-नीची पगडंडियों पर कुलेलती लौटती है घर पहाड़न टोकरीभर महुआ दिन की थकान होठों पर वीरानियों से सनी कोई विदागीत लिये।
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| 6. | चंद्रधर षर्मा गुलेरी की ‘ उसने कहा था ' जैसी कलात्मक व्यापकता और साधारणीकरण की क्षमता ‘ एक टोकरीभर मिट्टी ' में नहीं है।
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| 7. | छत्तीसगढ़ मित्र ' के वर्ष 2, अंक 4 में प्रकाशित दो पृ ष्ठीय कहान ी ‘ एक टोकरीभर मिट्टी ' का नाम आता है।
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| 8. | ‘ एक टोकरीभर मिट्टी ' को पहली हिन्दी कहानी के रूप में उद्घाटित किया जाने से पूर्व उन्हें हिन्दी का उल्लेखनीय कथाकार शायद ही कभी माना गया हो।
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