परंतु हिन्दी ब्लॉगरों का मिलना बनना होता है, ठनना नहीं।
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हमारा जन्म लेना ही पक्षधर बनना है, जीना ही क्रमशः यह जानना है कि युद्ध ठनना है और अपनी पक्षधरता में हमें पग-पग पर पहचानना है कि अब से हमें हर क्षण में, हर वार में, हर क्षति में, हर दुःख-दर्द, जय-पराजय, गति-प्रतिगति में स्वयं अपनी नियति बन अपने को जनना है।