19 वीं और 20 वीं शताब्दियों में, वालरस का शिकार इसके खाँग और तिमिवसा (चर्बी) के लिए बड़े पैमाने पर किया गया जिसके कारण इनकी संख्या में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी, हालाँकि अब इसकी संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है पर अन्ध महासागर और लाप्टेव सागर की वालरसों की संख्या अभी भी इनकी ऐतिहासिक संख्या से काफी कम है।
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19 वीं और 20 वीं शताब्दियों में, वालरस का शिकार इसके खाँग और तिमिवसा (चर्बी) के लिए बड़े पैमाने पर किया गया जिसके कारण इनकी संख्या में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी, हालाँकि अब इसकी संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है पर अन्ध महासागर और लाप्टेव सागर की वालरसों की संख्या अभी भी इनकी ऐतिहासिक संख्या से काफी कम है।