| 1. | काम क्रोध समेत तृष्ना पवन अति झकझोर।
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| 2. | तृष्ना नाद करति घट भीतर, नाना विधि दै ताल।
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| 3. | आशा तृष्ना ना मरी, कह गये दास कबीर ॥
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| 4. | तृष्ना नाद करति घट भीतर, नाना विधि दै ताल।
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| 5. | आशा तृष्ना ना मरी, कह गये दास कबीर॥-कबीर
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| 6. | तृष्ना नाद करत घट भीतर, नाना विधि दै ता ल..
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| 7. | भावनाओं की आवारगी को लगाम दो, लालच की बढ़ती तृष्ना को रोको।
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