| 1. | के त्रिक् की तलाश शुरू हो गयी थी।
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| 2. | प्रकृत ज़ेमान त्रिक् विशेष रूप है और एकक श्रेणी (
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| 3. | वात-पैत्तिक शूल-नाभि स्थल एवं ह्दय में, पार्श्व, पृष्ठ, त्रिक् और वस्तिप्रदेश में.
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| 4. | इस प्रकार के अनेकों संकेत व्याहृतियों के त्रिक् में भरे हुए हैं ।
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| 5. | इस प्रकार के अनेकों संकेत व्याहृतियों के त्रिक् में भरे हुए हैं ।।
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| 6. | गायत्री अध्यात्मिक त्रिवेणी है:-भारतीय संस्कृति में त्रिक् का विशेष महत्व है।
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| 7. | (१) वातिक शूल-वातिक शूल में ह्दय, पार्श्व; पृष्ठ व त्रिक् प्रभृति स्थानोंमें वेदना होती है.
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| 8. | अनुकंपी तंत्र के दो भाग हैं, एक कपाल (क्रेनियल) भाग और दूसरा त्रिक् (सैक्रल) भाग।
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| 9. | अनुकंपी तंत्र के दो भाग हैं, एक कपाल (क्रेनियल) भाग और दूसरा त्रिक् (सैक्रल) भाग।
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| 10. | कहते हैं तथा उन घटक रेखाओं के नमूने का प्रकृत त्रिक् या लोरेंट्स त्रिक् (
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