| 1. | त्वग्वसा वातावरण के शुष्ककारी प्रभाव केविरूद्ध त्वचा का स्नेहन करती है.
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| 2. | ये हार्मोन वसामय ग्रंथियों के माध्यम से त्वग्वसा के स्रवण को बढ़ाते हैं।
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| 3. | त्वचा भी असंख्य सूक्ष्म ग्रंथियों से परिपूर्ण है, जो स्वेद (पसीना) तथा त्वग्वसा (
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| 4. | त्वग्वसा-ग्रंथियों से त्वग्वसा (शेबुम्) का उत्पादन होता है, जिसमें वसीय अम्ल (ञट्ट्य् अचिड्स्) कालेस्टेरॉल और अलकोहॉल आदि होते हैं.
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| 5. | यदि त्वग्वसा ग्रंथियों में से पर्याप्त मात्रा में वसा निकलती रहे तो त्वचा स्वस्थ और कोमल प्रतीत होती है।
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| 6. | यदि त्वग्वसा ग्रंथियों में से पर्याप्त मात्रा में वसा निकलती रहे तो त्वचा स्वस्थ और कोमल प्रतीत होती है।
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| 7. | ऐसा मानाजाता है कि इन पेशियों का संकुचन त्वग्वसा ग्रंथि-वाहिनी से त्वग्वसा कोनिचोड़कर बाहर लाने में भी सहायक होता है.
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| 8. | ऐसा मानाजाता है कि इन पेशियों का संकुचन त्वग्वसा ग्रंथि-वाहिनी से त्वग्वसा कोनिचोड़कर बाहर लाने में भी सहायक होता है.
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| 9. | 5. स्राव उत्पादन (Secretion)-त्वचा में मौजूद त्वग्वसीय ग्रन्थियों से त्वग्वसा (sebum) की उत्पत्ति होती है।
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| 10. | 8. संश्लेषण (Synthesis)-त्वचा की त्वग्वसीय ग्रन्थियों में निर्मित त्वग्वसा (Sebum) मे एर्गोस्टोरॉल (Erogsterol) मौजूद रहता है।
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