सौ-पचास एक्स्ट्राओं को किसी कोरेओग्रफेर के बताये स्टेप्स पर थिरकाना भी कोई नयी बात नहीं है.
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शब्द बेतरतीब हैं जिनका जिक्र जरूरी नहीं है, गीत का उद्देश्य कदम थिरकाना और मौज मस्ती लुटाना है जिसमें गीत कामियाब है.
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रही संगीत की बात तो जो लोग संगीत के नाम पर अपने पाँव थिरकाना चाहते हैं वे जरूर इस फिल्म को देख सकते हैं, पर थोड़े संगीत और जीवन के पारंपरिक नजरिए से हटकर सोचते हुए।