किसी दिल्लगीबाज ने आजकल के शिक्षित समाज की मूर्खता की परीक्षा करने
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बहुत से आदमी हैं दिल्लगीबाज, भगवान का मखौल उड़ाने वाले, आत्मा का मखौल उड़ाने वाले, परमात्मा का मखौल उड़ाने वाले।
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जहाँ तक मेरा खयाल है, किसी दिल्लगीबाज ने आजकल के शिक्षित समाज की मूर्खता की परीक्षा करने के लिए यह स्वाँग रचा है।
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१६. एक दिल्लगीबाज शख्स एक वकील से,जिसने किसी मजनून पर एक वाहियात सा रिसाला लिखा था, राह में मिला और बेतकुल्लफी से कहा,”वाह जी तुम भी अजब आदमी हो कि मुझसे आज तक अपने रिसाले का जिकर भी न किया।
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१६. एक दिल्लगीबाज शख्स एक वकील से,जिसने किसी मजनून पर एक वाहियात सा रिसाला लिखा था, राह में मिला और बेतकुल्लफी से कहा,"वाह जी तुम भी अजब आदमी हो कि मुझसे आज तक अपने रिसाले का जिकर भी न किया।