अपना आपा ही सबमें समाया पड़ा है और एक ही दिव्यतत्त्व हम सबको प्रकाशित कर रहा है, यह बोध होते ही एक दिव्य शांति की अनुभूति सबको होती है।
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उपनिषदों के विचारों से यदि हमें दैहिक जीवन की चकाचौंध से ऊपर उठने में सहायता मिलती है तो वह इसीलिए कि इनके रचयिता, जिनकी आत्मा निर्मल है, दिव्यतत्त्व की ओर निरन्तर बढ़ते हुए, हमारे लिए अदृश्य की अलौकिक छटा के चित्र उद्घाटित करते हैं।