उन्होंने अपनी लेखनी और विचारों से हिन्दी पत्रकारिता को न केवल समृद्धि किया वल्कि उसे एक नई दिशा दिष्टि दी।
7.
पाना खोना, खोना पाना, क्या कैसा है, किसने जाना? सब कुछ है, और कुछ भी नहीं है, ऐसे में ये, कल्पना क्या है? देख रहा हूँ, सपना क्या है......... क्या जानूँ, की सत्य कौन है? समझ न पाऊं, दिष्टि मौन है.
8.
राहू का चतुर्थ भाव में होना:-जन्मांग में अन्य योगो की स्थिति के अनुसार केन्द्र के स्वामी की तरह ही राहू भी बहुत सुंदर परिणाम से लेकर बहुत ही साधारण परिणाम तक देता है | लिकिन दिष्टि विरोध के कारण जो अब तक अनुभव में प्राप्त हुआ है जातक को दुर्भाग्य अप्रसन्नता और संतान हीनता भी देता है | ऐसे जातक के विवाह में भी कोई सामंजस्य नही होता है |
9.
तदनुसार विश्वसृष्टि एक महायज्ञ है, जिसमें तपस्या गृहपति, ब्रह्म (वैदिक ज्ञानराशि) ब्रह्मा, हरा गृहपत्नी, अमृत उद्गाता, भूतकाल प्रस्तोता, भविष्यत्काल प्रतिहर्ता, ॠतुएँ उपगाता, आर्त्तव वस्तुएँ सदस्य, सत्य होता, ॠत मैत्रावरुण, ओज ब्राह्मणच्छंसी, त्विषि और अपचिति क्रमश: नेष्टा और पोता, यश अच्छावाक, अग्नि अग्नीत्, भग ग्रावस्तुत, अक्र उन्नेता, वाक् सुब्रह्यण्य, प्राण अध्वर्यु, अपान प्रतिप्रस्थाता, दिष्टि विशास्ता, बल ध्रुवगोप, आशा हविष्य, अहोरात्र इध्मवाह और मृत्यु शमितास्वरूप हैं।