हम परमेश्वर का दूतकार्य तो कर सकते हैं लेकिन हम में जीवन देने की योग्यता बिल्कुल नहीं है।
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इंद्र, अग्नि, वरुण, यम इन चार देवां में से किसी को पतिरूप में वरण करने के लिए नल का दूत बनकर दमयंती के यहाँ जाना, उसे समझाना बुझाना और दूतकार्य में असफल होना-इतनी ही कथा का वर्णन 5 से 9 सर्ग तक दसवें सर्ग से सोलहवें सर्ग तक, सांगोपांग, दमयंती स्वयंवर, नलवरण और विवाहादि का विवरण दिया गया है।