एक दृँय िदखता है मुझे जीवन यह हर िकसी में िछपा बैठा है और
3.
अन्दर का दृँय देख कर तो किनका की आँखें फटी की फटी ही रह गई।
4.
ःटौ स और उनका पिरवार िज ासा क साथ इस दृँय को दे खते रहे ।
5.
अरेभाई ूेिमका की महारानी (गांड) भी तो ठीक उसकी आँखों के सामनेहोती हैना? उसके खुलतेबंद होतेछेद का दृँय तो जानमारू होता ही हैकभी कभार उसमें भी अगर अगं लु ी कर दी जाए तो मज़ा दगु ना क्या ितगनु ा हो जाता है।