आप देवपूजक व धर्म कर्म में रूचि रखने वाले व्यक्ति है.
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और Vaekereta या काबुल में बुतपरस्ती बढ़ रही थी, तथा किरिसस्प (Keresaspa) देवपूजक बन गये थे।
3.
महाभारत में मार्कण्डेय युधिष्ठिर के आगे कलियुग का जो खाका खींचते हैं, उसके अनुसार कलियुग में लोग देवपूजक के बजाय ऐडूक (अस्थियों पर बने मठ) पूजक बन जाएंगे।
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महाभारत में मार्कण्डेय युधिष्ठिर के आगे कलियुग का जो खाका खींचते हैं, उसके अनुसार कलियुग में लोग देवपूजक के बजाय ऐडूक (अस्थियों पर बने मठ) पूजक बन जाएंगे।
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महाभारत में मार्कण्डेय युधिष्ठिर के आगे कलियुग का जो खाका खींचते हैं, उसके अनुसार कलियुग में लोग देवपूजक के बजाय ऐडूक (अस्थियों पर बने मठ) पूजक बन जाएंगे।
6.
पंचामृत देते समय देवपूजक अर्थात पुजारी जिस मंत्र का उच्चारण करता है, उसका अर्थ है-अकाल मृत्यु का हरण करने वाले और समस्त रोगों के विनाशक, श्रीविष्णु का चरणोदक पीकर पुनर्जन्म नहीं होता।
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पंचामृत देते समय देवपूजक अर्थात पुजारी जिस मंत्र का उच्चारण करता है, उसका अर्थ है-अकाल मृत्यु का हरण करने वाले और समस्त रोगों के विनाशक, श्रीविष्णु का चरणोदक पीकर पुनर्जन्म नहीं होता।
8.
इसी प्रकार निशय (Nisaya) जो मर्व और बल्ख के अन्तर्गत था, पाप और नास्तिकता का परिपोषक था, हेरात अश्रुपात और विकल वेदना से परितप्त था ; और Vaekereta या काबुल में बुतपरस्ती बढ़ रही थी, तथा किरिसस्प (Keresaspa) देवपूजक बन गये थे।