| 1. | नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन् ॥५-१३॥
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| 2. | सबकी सुन्दर और युवा देही पत्नियाँ थी ।
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| 3. | नायउर सुद्ध देही सु सभरि देसेसु वंदामि ।।
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| 4. | जीवन का फल जब देही ने प्राप्त किया
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| 5. | शरीराणि विहाय जीर्णा-न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।।
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| 6. | अलफ हमारा रूप है, दम देही नहीं दंत।
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| 7. | यह देही अवस्था रहने तक रहता है ।
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| 8. | ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत भस्माभूत देही पुनर्जन्म कुत...
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| 9. | जब आभा देही नारी आह्लाद प्रेम कर वर्षण
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| 10. | कबीर कहा गरबियो, देही देखि सुरंग ।
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