इसलिए वे इसे कहेंगे कि ‘संस्कृति का एक आयाम दैशिक होता है, दूसरा
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-१० मात्राओं की जाति = दैशिक ; २० मात्राओं की जाति = महादैशिक
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इसके अलावा नाव, चर एवं दैशिक भी थे जो पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाते थे।
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इसके अलावा नाव, चर एवं दैशिक भी थे जो पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाते थे।
6.
किसी भी वस्तु में जब दैशिक, कालिक अथवा पात्रिक भेद आ जाता है तब वह परिवर्तित हो जाती है।
7.
धर्म एक अनिवार्य एवं समान सामाजिक और दैशिक आचरण है जबकि आध्यात्म नितांत वैयक्तिक चिंतन है..... वह आचरण नहीं है.....
8.
यद्यपि कहीं आप उनकी बात समझ न लें इसलिए वे इसे कहेंगे कि ‘ संस्कृति का एक आयाम दैशिक होता है, दूसरा कालिक।
9.
यदि एक को पाठ पढाने चलें देश या दैशिक संस्कृति की मर्यादा का तो वह इसे अपने विरोधी झंडे वालों के कारस्तानी प्रमाणित करने में जी जान लगा देगा.
10.
राष्ट्र, किसी भूभाग पर रहने वालो का भू भाग, भूसंस्कृति, उसभूमि का प्राकृतिक वैभव, उस भूमि पर रहने वालो के बीच श्रद्धा और प्रेम, उनकी समान परस्परा, समान सुख-दुख, किन्ही अर्थों में भाषिक एकरूपता, दैशिक स्तर पर समान शत्रु...