| 1. | इन संदेशों में धन-ऋण के रूप में मांगा गया था।
|
| 2. | समाहित धन-ऋण स्वयं में, शून्य को आपूर्ण करती.
|
| 3. | विद्युत बन बहे हमारे साँसों के धन-ऋण का संगम हाँ प्रिय!
|
| 4. | जो सौदा आँखों का, उसमे कहाँ बही-खाते धन-ऋण के. दादी और नानी की कहानी,
|
| 5. | विद्युत बन बहे हमारे साँसों के धन-ऋण का संगम हाँ प्रिय! नहीं चढ़ायेंगे हम भावनाओं पर शब्द रूप आवरण।
|
| 6. | मैं प्रकृति, लीला विलासिनि, मैं समुच्चय ज्ञान का, इच्छा-क्रिया का! त्रिगुण मुझमें विलय,मुझसे ही विभाजित समाहित धन-ऋण स्वयं में, शून्य को आपूर्ण करती.
|