यह भारत के उत्कृष्ट धातुशिल्प का ज्वलंत उदाहरण है।
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यह भारत के उत्कृष्ट धातुशिल्प का ज्वलंत उदाहरण है।
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यह भारत के उत्कृष्ट धातुशिल्प का ज्वलंत उदाहरण है।
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एक साइट, जो मिस्र के धातुशिल्प के इतिहास को दर्शाता है
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छत्तीसगढ़ के विभिन्न अंचलों में धातुशिल्प निर्माण की सुदीर्घ परम्परा है ।
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जहां से चंदेरी, महेश्वर, कोसा साडि़यां जूट और चमड़े की वस्तुएं तथा धातुशिल्प के नमूने खरीदे जा सकते हैं।
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धातुशिल्प निर्माण की तकनीक चाहे वह सरगुजा की हो टीकमगढ़ की हो या बस्तर की घड़वा कला हो, ढलाई की मूलप्रक्रिया एक जैसी ही है, थोड़ी बहुत यदि भिन्नता है वह स्थान, परिवेश और सामाग्री की उपलब्धता के कारण हैं।
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जब १३वे दलाईलामा ने भारत में शरण ली (आप उनके घर की नींव को देख सकते हैं) तब १९५९ में स्थापित तिब्बती शरणार्थी स्व-सहायक केन्द्र मुखौटों सहित उत्कृष्ट गलीचों, नबाबी चीजों, लकड़ी की नक्काशी, धातुशिल्प और हर तरह की विलक्षण तिब्बती वस्तुओं को प्रस्तुत करता है।