उन्होंने दादाभाई नौरोजी तथा गोपालकृष्ण गोखले जैसे कांग्रेस के नरमदलीय नेताओं के अनुयायी के रूप में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया।
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तीसरा नजरिया खुद नीतीश की पार्टी का है, जो कि मिली-जुली जुबान बोल रही है, और इसके भीतर शरद पवार जैसे लोग नरमदलीय हो गए हैं, और नीतीश गरमदलीय हो गए हैं।