प्रथम भारतीय नवजागरणकाल में वेद धर्म और विचारधाराएं
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पर स्वतंत्रता-पूर्व नवजागरणकाल से स्थिति बदलने लगी थी।
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इस नवजागरणकाल में मणिपुरी कविता का प्रभाव भी देखा जा सकता है।
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सन् 1940 के बाद ही पता चला कि भारतेन्दु युग नवजागरणकाल था।
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नवजागरणकाल के साहित्य का प्रयोजन था मानव की संवेदनात्मक ज्ञानात्मक चेतना का विकास और परिष्कार।
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(२) संस्कृत के आचार्यों के विचार (लिंक), (३)पाश्चात्य विद्वानों के विचार (लिंक), (४) नवजागरणकाल और काव्य प्रयोजन (५) नव अभिजात्यवाद और काव्य प्रयोजन (लिंक)
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बम मीनकेतन सिंह, अराम्बम दरेन्द्रजीत, राजकुमार शीतलजीत आदि नवजागरणकाल से जुडे़ लेखकों ने बंगला से पर्याप्त मात्रा में प्रभाव ग्रहण किया ।
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लेओनार्डो तथा यूरोप के नवजागरणकाल के अन्य कलाकारों में यह अंतर है कि विंचि ने प्राचीन काल की कलाकृतियों की मुख्यत: नकल करने में समय नहीं बिताया।
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लेओनार्डो तथा यूरोप के नवजागरणकाल के अन्य कलाकारों में यह अंतर है कि विंचि ने प्राचीन काल की कलाकृतियों की मुख्यत: नकल करने में समय नहीं बिताया।
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कार्य लेओनार्डो तथा यूरोप के नवजागरणकाल के अन्य कलाकारों में यह अंतर है कि विंचि ने प्राचीन काल की कलाकृतियों की मुख्यत: नकल करने में समय नहीं बिताया।