क्या अपने स्वार्थ से तेरे पिता के मातुल ने यह विराट महाभारत रचाया तो उनके कार्यों को उचित ठहराने के लिए तूने अपने अपराधी पूर्वजों को कलियुग के नागदंत (खूंटी) पर टांग दिया है.
2.
यह तुम्हारी सचाई है कि दरिंदे जब कानून को लात मारकर अधर्म करते हैं, सांप्रदायिकता फैलाते हैं, अपने-अपने मजहब के लिए एक दूसरे का खून कर देते हैं तो इसे तुम उसी नागदंत पर टांग देते हो, यानी कलियुग पर.
3.
नाटक “ पुनरपि दिव्या ” में लिये गये उपन्यास के चुनिंदा मूल पात्रों के साथ सूत्रधार शैली में जिन दो पात्रों (वामनदेव और नागदंत) की कल्पना की गई है वे वस्तुतः उस युग की धार्मिक-सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों की जीवंत उपस्थिति हैं।