| 1. | इस ज्ञान की अनुभूति ही निःश्रेयस है।
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| 2. | सांसारिक उन्नति) एवं निःश्रेयस (पारलौकिक कल्याण) की सिद्धि के
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| 3. | क्षमा सिन्धु अब क्षमा धारियें॥140॥अभ्युदय निःश्रेयस पाऊ।
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| 4. | सामान्यतः निःश्रेयस को आध्यात्मिक विकास कह दिया जाता है।
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| 5. | अतः अभ्युदय के लिये निःश्रेयस का आधार अनिवार्य है।
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| 6. | अभ्युदय तथा निःश्रेयस के संतुलित विकास को समुत्कर्ष कहते है।
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| 7. | इस नर देह में प्राणियों के अभ्युदय तथा निःश्रेयस के समस्त
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| 8. | पर इसका परिपूर्ण रुप, अंतिम स्वरुप निःश्रेयस इसको कैसे समझेंगे।
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| 9. | शरीर-यात्रा में अभ्युदय और निःश्रेयस को प्रमाणित होने की ज़रूरत है।
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| 10. | सुख से अभिप्राय अभ्युदय का है और कल्याण से निःश्रेयस का।
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