| 1. | लोग निःस्वार्थता छोड़कर स्वार्थपरायण हो जाते हैं।
|
| 2. | लेकिन साथ ही प्यार में निःस्वार्थता भी होनी चाहिए।
|
| 3. | लेकिन साथ ही प्यार में निःस्वार्थता भी होनी चाहिए।
|
| 4. | निःस्वार्थता और कार्य के लिए उत्सुक व उत्साहित हों।
|
| 5. | जहॉं समर्पण है वहॉं निःस्वार्थता है।
|
| 6. | परंतु धर्मका अधिष्ठान हो, तो निःस्वार्थता तथा त्यागकी भावना निर्माण हो सकती है ।
|
| 7. | निःस्वार्थता बहुत ही लाभकारक है, केवल मनुष्यों में इतना धैर्य नहीं कि उस पर आचरण करें।
|
| 8. | प्रेम में अपनत्व होता है, निःस्वार्थता होती है, विश्वास होता है, विनम्रता होती है और त्याग होता है.
|
| 9. | जब तक ख़ुद को बदलने का सोच, निःस्वार्थता का भाव उपजेगा नहीं, प्रार्थना शुभ नहीं होगी ।
|
| 10. | जो भक्ति में निःस्वार्थता की बलात् स्थापना करता है वह कुछ और नहीं भारतीय मानस की हिप्पोक्रेटिक ग्रन्थि है।
|