जिला प्रशासन व पुलिस ने इनके ऊपर मप्र निक्षेपक अधिनियम 2000 व धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है.
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उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने जमाकर्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए मप्र निक्षेपक अधिनियम बना रखा है, जिसमें इस प्रकार की वित्तीय कंपनियों को अपने जमा धन का हिसाब देना होता है।