और जहाँ कहीं जरा निचान था, वहाँ छाती-छाती जितनी तरह-तरह की हरियाली छाई थी।
2.
और जहां कहीं जरा निचान था, वहां छाती-छाती जितनी तरह-तरह की हरियाली छाई थी।
3.
काली ऐसी कि बिनौला. और, जहाँ कहीं ज़रा निचान था वहाँछाती-छाती भर तरह-तरह की हरियाली छाई थी.
4.
ओ भंडारी राजपूत, कैसा है तेरा 'मलेथ' गाँव?देखने में भला लगता है, साहबो, मेरा मलेथ ।ढलकती नहीं है वहाँ, मेरा मलेथ ।गाँव की निचान में घर है मेरा, मेरा मलेथ ।पालक की बाड़ी है, मेरा मलेथ ।लहसुन की क्यारी है, मेरा मलेथ ।गौओं की गोठ है, मेरा मलेथ ।भैंसों की भीड़ है, मेरा मलेथ ।कुमारियों की टोली है, मेरा मलेथ ।वीरों का धक्कम-धक्का है, मेरा मलेथ ।