पउमचरिउ वाक्य
उच्चारण: [ pumecheriu ]
उदाहरण वाक्य
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- स्वयंभू का ” पउमचरिउ ' अथवा रामायण आठवीं शताब्दी की रचना है।
- अभी तक इनकी तीन रचनाएँ उपलब्ध हुई हैं-पउमचरिउ (पद्मचरित), रिट्ठणेमिचरिउ (अरिष्ट नेमिचरित (या हरिवंश पुराण) और स्वयंभू छंदस् ।
- ' पउमचरिउ ' जैसी उच्च-स्तरीय साहित्यिक रचना इसलिए उच्च स्थान नहीं प्राप्त कर सकी, क्योंकि उसका शुद्धिकरण नहीं किया जा सका और उसे मुख्य धारा की आस्था के प्रतिकूल पाया गया.
- चाहे स्वयंभू कृत ' पउमचरिउ ' की सीता के विद्रोही तेवर की बात करें अथवा नरेश मेहता कृत ' संशय की एक रात ' के राम के अंतर्द्वंद्व की ; चाहे भगवान सिंह कृत ' अपने अपने राम ' में निहित जनवादी संदर्भों को देखें अथवा प्रतिभा सक्सेना कृत ' उत्तरकथा ' में रावण के औदात्य को-राम साहित्य के ये तमाम रूपांतरण युगीन और सामाजिक संदर्भों से जुड़े प्रतीत होते हैं.
- चाहे स्वयंभू कृत ' पउमचरिउ ' की सीता के विद्रोही तेवर की बात करें अथवा नरेश मेहता कृत ' संशय की एक रात ' के राम के अंतर्द्वंद्व की ; चाहे भगवान सिंह कृत ' अपने अपने राम ' में निहित जनवादी संदर्भों को देखें अथवा प्रतिभा सक्सेना कृत ' उत्तरकथा ' में रावण के औदात्य को-राम साहित्य के ये तमाम रूपांतरण युगीन और सामाजिक संदर्भों से जुड़े प्रतीत होते हैं.
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