पहली अवस्था को बहुनाभिक (coenocytic) तथा दूसरी को पटयुक्त (septate) अवस्था कहते हैं।
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पहली अवस्था को बहुनाभिक (coenocytic) तथा दूसरी को पटयुक्त (septate) अवस्था कहते हैं।
3.
फिर ये बीजाणु स्वयं अलग-अलग आकार, प्रकार और रंग के होते हैं तथा पटयुक्त वा पटरहित रहते हैं।
4.
धब्बों के मध्य में गहरे धृसर (ग्रेय्) रंग के कवक बीजाणुधर (स्पोरोप्होरेस्) दिखालाई देते हैं, जिनमेंचाबुक जैसे, पटयुक्त काचाभ (ह्यलिने) २४-१०८द्३-९ के कोनिडिया जनित स्फोटचित्र ९.