यह प्राचीन पथिकशाला है, अहो-रात्र जिसके दो द्वार, खुलते और बन्द होते हैं बारी बारी बारंबार.
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यह प्राचीन पथिकशाला है, अहो-रात्र जिसके दो द्वार, खुलते और बन्द होते हैं बारी बारी बारंबार.
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यह प्राचीन पथिकशाला है, अहो-रात्र जिसके दो द्वार, खुलते और बन्द होते हैं बारी बारी बारंबा र.
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यह प्राचीन पथिकशाला है, अहो-रात्र जिसके दो द्वार,खुलते और बन्द होते हैं बारी बारी बारंबार.कितनी तड़क भड़क से इसमें आये हैं कितने सम्राट एक द्वार से घुसे, घड़ी भर ठहरे,हुए अन्य से पार.