आवश्यक होता है उधर लम्बे लम्बे शंकु या पदाभास निकालता है।
2.
अर्थात जिस ओर शंकु या पदाभास निकलते हैं उस ओर सारा कललरस अर्थात शरीर ढल
3.
मधुबिन्दुवत् तो होता ही है जिधर शंकु या पदाभास निकलते हैं उसी ओर को ढल
4.
99. कार्य, जिनके विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है-यदि कोई कार्य, जिससे मॄत्यु या घोर उपहति की आशंका युक्तियुक्त रूप से कारित नहीं होती, सद््भावपूर्वक अपने पदाभास में कार्य करते हुए लोक सेवक द्वारा किया जाता है या किए जाने का प्रयत्न किया जाता है तो उस कार्य के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का कोई अधिकार नहीं है, चाहे वह कार्य विधि-अनुसार सर्वथा न्यायानुमत न भी हो ।