बगल के शिव मंदिर में परिवर्धन-परिवर्तन होकर एक भव्य शिव मंदिर बन गया।
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डॉ. भारत भूषण ने संकेत किया कि ज्ञान और चिंतन तथा भाषा और साहित्य के स्वरूप में आज इतनी तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं कि मानविकी और साहित्य की निर्मित सामग्री को चार-पाँच साल में एक बार परिवर्धन-परिवर्तन की दृष्टि से देखा जाना चाहिए।