वही रास रंग, किस्से कहानी, हास्य परिहास्य शुरू हो रहा है।
3.
अश्लील न होने का पूरा प्रयत्न किया है, किन्तु कुछ लगे तो पाठक हास्य और परिहास्य का अंग मान कर मुझे क्षमा कर देंगे, ऐसा निवेदन है।
4.
महेन्द्र मिश्र समयचक्र पर हास्य परिहास्य-छुट्टे बड्डे की फुलझड़ी छुडा रयेले हैं…श्यामल सुमन जी मनोरमा पर बोल रयेले हैं उनको अबी बी किसी का इन्तजार है …..अजय कुमार झा जी कुछ भी...कभी भी. बोल रयेले हैं कि लौटूंगा तो ले के यादों के मेले, और अगली ब्लोग बैठक की घोषणा के साथ ….