महिलाओं को जंगली कन्द-मूल फल, जिनमें काफल, पाँगर, अखरोट, हिसर, किनगोड़, बेडू, तिमला, भमोर, चुलू आदि अवैध दोहन व जंगलों की आग से कम मिल रहा है।
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. ' नैनीताल क्लब चौराहा, पाँगर के विशाल पेड़ों के ठीक नीचे बहते गधेरे से सटे व्यावसायिक भवन के अंदरुनी हिस्से का एक छोटा सा कमरा, जिसकी विशालकाय खिड़की से बहते नाले का स्वर रात के सुनसान [...]
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. ' नैनीताल क्लब चौराहा, पाँगर के विशाल पेड़ों के ठीक नीचे बहते गधेरे से सटे व्यावसायिक भवन के अंदरुनी हिस्से का एक छोटा सा कमरा, जिसकी विशालकाय खिड़की से बहते नाले का स्वर रात के सुनसान [...]
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नैनीताल क्लब चौराहा, पाँगर के विशाल पेड़ों के ठीक नीचे बहते गधेरे से सटे व्यावसायिक भवन के अंदरुनी हिस्से का एक छोटा सा कमरा, जिसकी विशालकाय खिड़की से बहते नाले का स्वर रात के सुनसान माहौल में किसी पहाड़ी गाँव की बसासत का आभास कराता, ताला विहीन यह, वह कमरा ठैरा।
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नैनीताल क्लब चौराहा, पाँगर के विशाल पेड़ों के ठीक नीचे बहते गधेरे से सटे व्यावसायिक भवन के अंदरुनी हिस्से का एक छोटा सा कमरा, जिसकी विशालकाय खिड़की से बहते नाले का स्वर रात के सुनसान माहौल में किसी पहाड़ी गाँव की बसासत का आभास कराता, ताला विहीन यह, वह कमरा ठैरा।
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नगरवासी इसे वर्त्तमान मालकिन के रूप-स्वभाव को लक्ष्य-कर भिसूँणी (फूहड़) रानी की कोठी कहते हैं, लेकिन अगर आप, नायक की तरह, कभी बँगले की ओर फूटनेवाली पगडण्डी की शुरुआत पर पाँगर 1 के पेड़-तले स्थापित पत्थर की काई हटायें, तो इस बँगले का वह नाम पढ़ सकेंगे जो इस कथा के अधिक अनुकूल है-‘ राँदे वू '-संकेत-स्थल।