एक पाठकोन्मुख लेखनी को आप सदृश प्रखर आलोचनात्मक दृष्टि का आशीर्वाद मिला।
2.
उसके बाद लगभग आजादी तक ब्रिटिश सरकार के चाटुकार पत्रों को छोड़कर भारतीयों द्वारा संपादित एवं प्रकाशित दैनिक भारत मित्र, राजस्थान समाचार, कलकत्ता समाचार, विश्वमित्र इत्यादि व्यावसायिक पत्रों का दृष्टिकोण पाठकोन्मुख था।