पाठों की यह अन्तः सम्बन्धता अन्तः पाठीयता को जन्म देती है।
2.
इस गाँव की पाठीयता का एहसास सबसे पहले और सबसे अधिक इसकी भाषा-दैहिकता में होता है.
3.
खिलेगा तो देखेंगे के गाँव की पाठीयता का यह दूसरा लक्षण हैः उसकी यह ख़ामोशी, जो अग्रभूमि पर है.
4.
किन्तु इस फ़र्क के साथ कि वह एक विचलित पाठ है, अपनी पाठीयता की कीमत पर पाठ के अनुशासन को तोड़ता हुआ पाठ.
5.
पर इस अनेक-पाठीयता का कारण कमज़ोर या गलत अनुवाद न हो कर भाषा की अपनी प्रकृति है जिसे उत्तर-आधुनिक समय में पहचाना गया है।
6.
और यह इस गाँव की पाठीयता का एक और लक्षण है: जो नहीं है, जो ‘अभाव' है उसे एक भाव की तरह जीने और जिलाये रखने की सामर्थ्य है.
7.
उपन्यास के गाँव की पाठीयता की चर्चा के प्रसंग में हमने समय और घटनाओं के अभाव और परिणामतः इस गाँव के चरित्र में व्यक्तिमत्ता, विशिष्टता, चारित्रिकता आदि की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया था.
8.
और अन्ततः इस गाँव की पाठीयता का क्या यह भी एक लक्षण नहीं है कि यह स्वतः प्रमाणित, स्वतः प्रकाशित ‘होने' की बजाय, ज्यादातर अपने पढ़े जाने की प्रक्रिया में, अपने पठन-सापेक्ष, पाठक-प्रमाणित होने में उद्घाटित होता है?