हमारा बचपन का पाठ्यपुस्तकीय ज्ञान और विकसित देशों की अवधारणा एक मिनट के उत्तर में ध्वस्त हो चुकी थी।
2.
ग्रेजुएशन स्तर पर जिसने राजनीतिविज्ञान पढ़ा है, वह वर्तमान राजनीति के बारे में कुछ खास नहीं जानता, जिसने समाजशास्त्र पढ़ा है, उसे समाज के बारे में कुछ पाठ्यपुस्तकीय जानकारी होती है और जिसने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है, वह आज की अर्थव्यवस्था की बारीकियों से अवगत नहीं होता।
3.
ग्रेजुएशन स्तर पर जिसने राजनीतिविज्ञान पढ़ा है, वह वर्तमान राजनीति के बारे में कुछ खास नहीं जानता, जिसने समाजशास्त्र पढ़ा है, उसे समाज के बारे में कुछ पाठ्यपुस्तकीय जानकारी होती है और जिसने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है, वह आज की अर्थव्यवस्था की बारीकियों से अवगत नहीं होता।