यह स्व. मोहन शर्मा जैसे चित्रकारों की महानगरीय शिल्प-रचनाओं में आया सन्नाटा या प्रभा शाह के मध्यकालीन महलों का तरल एकांत नहीं, बल्कि शैल चोयल के यहाँ अन्तरंग सन्नाटा, मेवाड़ी खिड़कियों और झरोखों की कमनीयता, राजमहलों की पारभासकता और हरी-सघन वनस्पति से मिल कर बना है, जो हम लघुचित्र परम्परा में भी बराबर देखते आए हैं।
परिभाषा
पारभासी होने की अवस्था या गुण :"आकाश की पारभासकता के कारण उसके पार की वस्तुएँ दिखाई नहीं देतीं"