दोनो ओर के पार्श्वक भी दो दो भागों में विभाजित रहता है।
3.
दोनो ओर के पार्श्वक भी दो दो भागों में विभाजित रहता है।
4.
दोनो ओर के पार्श्वक भी दो दो भागों में विभाजित रहता है।
5.
श्वसन अंग तीसरे से छठे मध्यकायिक खंड के अधर पार्श्वक बगल में चार जोड़ा पुस्त-फुफ्फुस (
6.
तीसरे से छठे मध्यकायिक खंड के अधर पार्श्वक बगल में चार जोड़ा पुस्त-फुफ्फुस (booklungs) स्थित होते हैं।
7.
शरीर के प्रत्येक खंड में पृष्ठीय पट्ट (टर्गम, Tergum), दाँए बाएँ दो भाग पार्श्वक (प्लुराँन, Pleuron) तथा एक उरूपट्ट भाग (स्टर्नम, Sternum) होता है।
8.
शरीर के प्रत्येक खंड में पृष्ठीय पट्ट (टर्गम, Tergum), दाँए बाएँ दो भाग पार्श्वक (प्लुराँन, Pleuron) तथा एक उरूपट्ट भाग (स्टर्नम, Sternum) होता है।
9.
वक्ष भाग में वक्षाग्र बड़ा तथा गतिशील हाता है और वक्षमध्य तथा वक्षपश्च एक दूसरे से जुड़े होते हैं; पृष्ठकाग्र (प्रोनोटम) एक ही पट्ट का बना होता है तथा पार्श्वक (प्लूरान) कई पट्टों में नहीं विभाजित होता।