-क्या ' ज्ञानपीठ पुरस्कार ' पाने की जुगाड़ इस दर्द से निजात दिलायेगी?-क्या पीठमर्द नायक बनकर इस समस्या का हल खोज पाउँगा?...
4.
उपर्युक्त 3 सूत्रों द्वारा आचार्य वात्स्यायन ने पीठमर्द, विट, विदूषक और इन्ही की तरह भिक्षुणी, बांझस्त्री, विधवा, बूढ़ी वेश्या आदि के जीवनयापन का विधान बताया है।
5.
अर्थ-भोजन करने के बाद लोग तोता-मैना को बोलते और पढ़ाते थे, उनसे बाते करते थे, लावक तथा मुर्गों की लड़ाई देखना तथा विभिन्न प्रकार की कलाओं और कीड़ाओं द्वारा मनोरंजन करना तथा उनके प्रिय कार्यों को मददगार पीठमर्द, विट तथा विदूषक के सुपुर्द किये गये कार्यों की ओर ध्यान देना चाहिए।