| 1. | खराद के दाहिने किनारे पर पुच्छदंड (
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| 2. | यह कसाव पुच्छदंड के चक्र को घुमाने से होता है।
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| 3. | यह कसाव पुच्छदंड के चक्र को घुमाने से होता है।
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| 4. | काम की लंबाई के अनुसार पुच्छदंड को आगे पीछे किया जा सकता है।
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| 5. | काम की लंबाई के अनुसार पुच्छदंड को आगे पीछे किया जा सकता है।
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| 6. | खराद के दाहिने किनारे पर पुच्छदंड (Tail stock) होता है, जिसका काम शिरोदंड की सहायता करना है;
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| 7. | पुच्छ-कशेरुकों के जुड़ने से एक पुच्छदंड बनता है, जो धड़ के पीछे के भाग में स्थापित रहता है।
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| 8. | पुच्छ-कशेरुकों के जुड़ने से एक पुच्छदंड बनता है, जो धड़ के पीछे के भाग में स्थापित रहता है।
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| 9. | पुच्छदंड का काम केवल काम को संभाले रखना ही नहीं, बल्कि छेद करना और भीतर के व्यास को बड़ा करना भी है।
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| 10. | पुच्छदंड का काम केवल काम को संभाले रखना ही नहीं, बल्कि छेद करना और भीतर के व्यास को बड़ा करना भी है।
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