नश्वर कहने की, पुनराव्रत्ति की आवश्यकता ही नहीं-अपितु काव्य-कलानुसार पुनराव्रत्ति दोष है...
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नश्वर कहने की, पुनराव्रत्ति की आवश्यकता ही नहीं-अपितु काव्य-कलानुसार पुनराव्रत्ति दोष है...
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उनकी बाते हमे भी सही लगी जब देखा कि कई बार हमारे टीचरगण भी इन वाक्यो कि पुनराव्रत्ति कर रहे है.
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उनकी बाते हमे भी सही लगी जब देखा कि कई बार हमारे टीचरगण भी इन वाक्यो कि पुनराव्रत्ति कर रहे है.
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जम्मू उन घटनाओं की पुनराव्रत्ति नहीं चाहता जो कश्मीर में हुई जब हिन्दुओं के मानबिन्दुओं का एक एक कर नाम बदला जाता रहा, धर्म स्थल बदले जाते रहे और अंत में हिन्दुओं को घाटी छोड्ने पर विवश कर दिया गया।
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जम्मू उन घटनाओं की पुनराव्रत्ति नहीं चाहता जो कश्मीर में हुई जब हिन्दुओं के मानबिन्दुओं का एक एक कर नाम बदला जाता रहा, धर्म स्थल बदले जाते रहे और अंत में हिन्दुओं को घाटी छोड्ने पर विवश कर दिया गया।
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और गिरिजेश जी के लिये गरजश बाबा कैसा लगेगा? फिर लगा ग्राम्य / लोकजीवन / प्रसंग विशेष मे व्यवह्रत बातें वहां की शोभा हो सकती हैं बशर्ते वही तक सीमित रहे किंतु अन्य परिवेश / स्थान मे उनकी पुनराव्रत्ति खटकती है! निवेदन ही कर सकता हूं...
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जीवन क्या है केवल एक अहसास अपने अस्तित्व के होने का भ्रम आजीवन हम इसको तलाश करने का प्रयास करते रहते है और अं ततः असफलता ही हाथ लगाती है, हमारे और जब हम अस्तित्वविहीन हो जाते हैं तो फिर से एस सोच की पुनराव्रत्ति प्रारंभ होती हैं हमारी आने वाली पीढी के द्वारा...
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रहस्य जीवन क्या है केवल एक अहसास अपने अस्तित्व के होने का भ्रम आजीवन हम इसको तलाश करने का प्रयास करते रहते है और अं ततः असफलता ही हाथ लगाती है, हमारे और जब हम अस्तित्वविहीन हो जाते हैं तो फिर से एस सोच की पुनराव्रत्ति प्रारंभ होती हैं हमारी आने वाली पीढी के द्वारा... निका*
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जबकि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है और १ ९ ७ १ तक शेर हमारा रास्ट्रीय पशु था-यह बुद्धिजीवियों तक में व्याप्त वह निंदनीय भूल है जिसके चलते एशियाड तक का हमारा शुभंकर था तो बाघ मगर कह दिया गया शेरू! यह एक गंभीर बात है-बाघ धारियां लिए होता है नर शेर के अयाल होते हैं मतलब मुंह के पीछे बड़े बाल! बहुत विनम्र अनुरोध है की भविष्य में कृपा कर इस तरह के भूल की पुनराव्रत्ति न करें-इससे गलतफहमी बढ़ती जाती है!