आदेश पुनर्विलोकनकर्ता का पुनर्विलोकन निरस्त किया जाता है।
2.
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर पुनर्विलोकनकर्ता द्वारा उक्त पुनर्विलोकन प्रार्थनाप़त्र प्रस्तुत किया गया।
3.
मैने पुनर्विलोकनकर्ता एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को सुना एवं पुनर्विलोकनकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान इस पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन किया।
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मैने पुनर्विलोकनकर्ता एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ता को सुना एवं पुनर्विलोकनकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मेरा ध्यान इस पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का परिशीलन किया।
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निर्णय 1-प्रार्थी / पुनर्विलोकनकर्ता गणेश दत्त की ओर से एक पुनर्विलोकन दीवानी अपील संख्या-4/2004 गणेश दत्त बनाम गोबिन्द सिंह में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांकित 9-4-2007 को पुनर्विलोकित करने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
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पुनर्विलोकन प्रार्थनापत्र में पुनर्विलोकनकर्ता द्वारा मुख्य आधार यह लिया गया कि संयुक्त खाते में विक्रेतागण महेन्द्र सिंह व नरेन्द्र सिंह द्वारा विक्रीशुदा खसरा नम्बरान का अंश खाते के हिस्सों के अनुरूप दर्ज है यह तथ्य मामले में प्रस्तुत खतौनी 41 ग, 19ग राजस्व अभिलेख से आलोकित है।
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इसके अलावा यदि यह मान भी लिया जाए कि यह टिप्पणी प्रतिकूल टिप्पणी है तो वह उस भूमि के हिस्सेदार नरेन्द्र सिंह व महेन्द्र सिंह के विरूद्व है इससे उन्हीं के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड सकता है पुनर्विलोकनकर्ता के हितों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पडता है।
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इसके अलावा पुनर्विलोकन प्रार्थनापत्र में पुनर्विलोकनकर्ता द्वारा कोई अनुतोष नहीं मॉगा गया है उनके द्वारा मात्र यह कहा गया कि आदेश दिनांक 9-4-07 का पुनर्विलोकन किया जाना न्यायसंगत है मगर इस न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनाकित 9-4-07 के किस हिस्से का पुनर्विलोकन किया जाए उसका कोई उल्लेख प्रार्थनापत्र में नहीं किया गया है न कोई अनुतोष मॉगा गया है इसलिए पुनर्विलोकनकर्ता का पुनर्विलोकन प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने योग्य है।
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इसके अलावा पुनर्विलोकन प्रार्थनापत्र में पुनर्विलोकनकर्ता द्वारा कोई अनुतोष नहीं मॉगा गया है उनके द्वारा मात्र यह कहा गया कि आदेश दिनांक 9-4-07 का पुनर्विलोकन किया जाना न्यायसंगत है मगर इस न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनाकित 9-4-07 के किस हिस्से का पुनर्विलोकन किया जाए उसका कोई उल्लेख प्रार्थनापत्र में नहीं किया गया है न कोई अनुतोष मॉगा गया है इसलिए पुनर्विलोकनकर्ता का पुनर्विलोकन प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने योग्य है।
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पुनर्विलोकनकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह भी तर्क दिया गया कि न्यायालय की इस टिप्पणी से पुनर्विलोकनकर्ता के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है क्योकि पुनर्विलोकनकर्ता / अपीलार्थी द्वारा पंजीकृत बयनामें से महेन्द्र सिंह व नरेन्द्र सिंह से 1 नाली 7 मुट्ठी भूमि क्रय की गयी थी जिसका राजस्व अभिलेखों में अमल दरामद की गयी है जिस पर कोई आपत्ति भी उत्तरदाता/वादी द्वारा नहीं की गयी है इसलिए टिप्पणी को निर्णय से हटा दिया जाए।