सन् १९३७ में शुरू हुआ यह जीवत्साहित्य आन्दोलन सन् १९४४ में ' पुरोगमन साहित्यान्दोलन‘ में परिणत हुआ।
2.
बंगला साहित्यकारों के प्रति वहां की जनता का आदर, साहित्य निर्माण में उनका पुरोगमन आदि विषयों का उल्लेख करते हुए तेलुगु साहित्य में उनकी प्रशंसा की गयी।