(1) फल-शाक-वाटिका, (2) पुष्प-वाटिका तथा (3) चित्र विचित्र बागवानी।
3.
(1) फल-शाक-वाटिका, (2) पुष्प-वाटिका तथा (3) चित्र विचित्र बागवानी।
4.
तुम्हें कभी ऐसे अवसर की खोज नहीं रही कि संध्याकाल मेरी पुष्प-वाटिका के
5.
अगर ये बौड़म राम के काल में पैदा हुए होते तो मुझे यकीन है कि ये राम और सीता को पुष्प-वाटिका में प्रवेश नहीं करने देते.
6.
रामगोविन्द बाबू पराग सौरभ से महमह करती उस पुष्प-वाटिका के प्रतीक थे, जहां मन कभी जूही तो कभी गुलाब हो जाता था, कभी कनैल तो कभी हरसिंगार की खुशबू से सुवासित हो जाता था।
7.
रामगोविन्द बाबू पराग सौरभ से महमह करती उस पुष्प-वाटिका के प्रतीक थे, जहां मन कभी जूही तो कभी गुलाब हो जाता था, कभी कनैल तो कभी हरसिंगार की खुशबू से सुवासित हो जाता था।
8.
देवयानी-परंतु क्या तुम कह सकते हो कि तुम्हारे नेत्रों ने पुस्तकों के अतिरिक्त और किसी वस्तु पर दृष्टि नहीं डाली? क्या तुम यह कह सकते हो कि मुझे पुष्प भेंट करने के लिए तुमने कभी अपनी पुस्तक को नहीं छोड़ा? क्या तुम्हें कभी ऐसे अवसर की खोज नहीं रही कि संध्याकाल मेरी पुष्प-वाटिका के पुष्पों पर जल छिड़क सको? संध्या समय जब नदी पर अन्धकार का वितान तन जाता तो मानो प्रेम अपने दुखित मौन पर छा जाता।