परंपरागत जेवर सोने के बने होते हैं जिनमें बुलाक (चिबुक तक झूलता, पुष्पाकार एक नाक का पीन फुली, दो नथुनों के बीच पहना जाने वाला नाक की बाली है), गला बंद (गले का हार), एक हंसुली (गले के इर्द-गिर्द पहना जाने वाला चांदी का जेवर) जो संपन्न वर्गों के लिये सोना भी हो सकता है शामिल होते हैं।
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परंपरागत जेवर सोने के बने होते हैं जिनमें बुलाक (चिबुक तक झूलता, पुष्पाकार एक नाक का पीन फुली, दो नथुनों के बीच पहना जाने वाला नाक की बाली है), गला बंद (गले का हार), एक हंसुली (गले के इर्द-गिर्द पहना जाने वाला चांदी का जेवर) जो संपन्न वर्गों के लिये सोना भी हो सकता है शामिल होते हैं।