व्यक्तित्व का पूर्णविकास, सामाजिक जीवनमें ही संभव हैउसके लिए शोषण-मुक्त समाज की स्थापना पहलेआवश्यक है.
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परन्तु एक विचार कीजिये-क्या हम अपने बच्चे का पूर्णविकास सिर्फ कपङे या भोजन से कर सकते हैं?
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तो कभी प्रौढ़ का सा व्यवहार करता है. इसलिये भीउसमें समायोजन का अभाव रहता है (३) बुद्धि का अधिकतम विकास (ंअदिमुम् ढेवेलोप्मेन्ट् ओङ्ईन्टे-~ ल्लिग्न्चे)--किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुँचते बालक की बुद्धि का पूर्णविकास हो जाता है.