जहां पूर्ववर्ष ३१ जुलाई १९८० के पश्चात् समाप्त होता है वहां यह सीमा २०लाख रुपए है.
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जहां पूर्ववर्ष ३१ जुलाई, १९८० केपश्चात समाप्त होता है वहां यह सीमा २० लाख रुपए है.
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प्रस्तावित उपखंड (क) की मद (इइ) द्वारा इस सीमा को बढ़ाकर१७ मार्च, १९८५ को समाप्त होने वाले पूर्ववर्ष के लिए ३५ लाख रुपए कियाजा रहा है.
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प्रस्तावित उपखंड (क) की मद (इइ) द्वारा इस सीमा को बढ़ाकर १७ मार्च, १९८५ को समाप्त होनेवाले पूर्ववर्ष के लिए ३५ लाख किया जा रहा है.
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इसप्रयोजन के लिए उन दशाओं में जहां पूर्ववर्ष १ अगस्त, १९८० के पहलेसमाप्त होता है, लघु उद्योग उपक्रम से अभिप्रेत ऐसे उद्योग उपक्रमजिसमें प्रतिष्ठापित मशीनरी और संयंत्र का कुल मूल्य सुसंगत पूर्ववर्ष केअंतिम दिन १० लाख से अधिक नहीं है.
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इसप्रयोजन के लिए उन दशाओं में जहां पूर्ववर्ष १ अगस्त, १९८० के पहलेसमाप्त होता है, लघु उद्योग उपक्रम से अभिप्रेत ऐसे उद्योग उपक्रमजिसमें प्रतिष्ठापित मशीनरी और संयंत्र का कुल मूल्य सुसंगत पूर्ववर्ष केअंतिम दिन १० लाख से अधिक नहीं है.
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इस प्रयोजन के लिए उन दशाओं में जहांपूर्ववर्ष १ अगस्त, १९८० के पहले समाप्त होता है, लघु उद्योग उपक्रम सेअभिप्रेत ऐसे उद्योग उपक्रम है जिसमें प्रतिष्ठापित मशीनरी और संयंत्रका कुल मूल्य सुसंगत पूर्ववर्ष के अंतिम दिन १० लाख से अधिक नहीं है.
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उपधारा (७) में उपबन्ध है कि जहां स्कीम के अनुसार अर्जित कोई आस्ति, किसी पूर्व वर्ष में, उस पूर्व वर्ष की समाप्ति से जिसके लिए वह अर्जितकी गई थी, आठ वर्ष की समाप्ति के पूर्व विक्रय की जाती है या अन्यथाअंतरित की जाती है, वहां ऐसी आस्ति की लागत का ऐसा भाग जो उपधारा (१) केअधीन अनुज्ञात कटौतियों के लिए पात्र हैं, ऐसे पूर्ववर्ष के जिसमें ऐसीआस्ति विक्रय की जाती है या अन्यथा अंतरित की जाती है, कारबार या वृत्तिका लाभ और अभिलाभ समझा जाएगा और तदनुसार उस पूर्ववर्ष की आय के रूप मेंआय-कर से प्रभार्य होगा.
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उपधारा (७) में उपबन्ध है कि जहां स्कीम के अनुसार अर्जित कोई आस्ति, किसी पूर्व वर्ष में, उस पूर्व वर्ष की समाप्ति से जिसके लिए वह अर्जितकी गई थी, आठ वर्ष की समाप्ति के पूर्व विक्रय की जाती है या अन्यथाअंतरित की जाती है, वहां ऐसी आस्ति की लागत का ऐसा भाग जो उपधारा (१) केअधीन अनुज्ञात कटौतियों के लिए पात्र हैं, ऐसे पूर्ववर्ष के जिसमें ऐसीआस्ति विक्रय की जाती है या अन्यथा अंतरित की जाती है, कारबार या वृत्तिका लाभ और अभिलाभ समझा जाएगा और तदनुसार उस पूर्ववर्ष की आय के रूप मेंआय-कर से प्रभार्य होगा.