किसी तरह की पारिवारिक पूर्वानुकूलता देखने में नहीं आती।
2.
किसी तरह की पारिवारिक पूर्वानुकूलता देखने में नहीं आती।
3.
आबद्ध समझदारी की प्रक्रियाओं के माध्यम से लोग मजबूत सामूहिक पहचान के प्रति अभ्यस्त होते हैं और बाहरी ताकतों के डर व मनोवैज्ञानिक पूर्वानुकूलता के कारण उसी दिशा में बह जाते हैं, जिससे सांप्रदायिक हिंसा, नरसंहार और आतंकवाद संभव हो पाता है.
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आबद्ध समझदारी की प्रक्रियाओं के माध्यम से लोग मजबूत सामूहिक पहचान के प्रति अभ्यस्त होते हैं और बाहरी ताकतों के डर व मनोवैज्ञानिक पूर्वानुकूलता के कारण उसी दिशा में बह जाते हैं, जिससे सांप्रदायिक हिंसा, नरसंहार और आतंकवाद संभव हो पाता है.