इनके नवगीतों में समय की त्रासद स्थितियों की अभिव्यक्ति, नया भाव पक्ष, भाषा का मुहावरा, लय की अनुभूति का एकालाप और बिम्बों में युग के यथार्थ की प्रतिकृति मिलती है-दिनचर्या पेन्शनी बाबू के कोट सी रसहीना संध्याएँ अफसर के नोट सी हर हलचल फाइल है, मन मुंशीखाना है परिचित हर चेहरा है, जाना पहचाना है फिर भी यों लगता है, जैसे बेगाना है।