कागजात के दराज़ में दफन होते ही उसका पेशकर्ता दर-दर नहीं भटकता क् या? ''
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राजदीप सरदेसाई अपने उसी लेख में कहते हैं ' जब एक ही स्टोरी को अलग अलग मंचों से और सौ अलग अलग तरीकों से कहा जा रहा है, एक निष्पक्ष खबर पेशकर्ता के तौर पर पत्रकार की छवि दुर्लभ होती जा रही है ' | राजदीप किन ख़बरों की बात कर रहे हैं?